बुधवार, 4 जनवरी 2017

वाक्य के भेद

वाक्य के भेद

वाक्य भेद के दो आधार हैं-

(1) अर्थ की दृष्टि से(2) रचना की दृष्टि से

(1) अर्थ की दृष्टि से वाक्य के 8 प्रकार हैं-

(i) विधिवाचक या विधानवाचक वाक्य- ऐसा वाक्य जिसमें किसी क्रिया के करने या होने की सामान्य सूचना होती है, वह वाक्य विधि वाचक वाक्य कहलाता है।
जैसे- 
1.आजाद प्रसिद्ध क्रांतकारी थे।
 2.सूर्य पूर्व दिशा से निकलता है।
 3.गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना की।

(ii) निषेधवाचक या नकारात्मक वाक्य- ऐसे वाक्य जिसमें किसी कार्य के न होने या न करने का बोध होता है, उसे नकारात्मक वाक्य या निषेध वाचक वाक्य  कहते हैं । 
जैसे- 
1. मेरे पास कार नहीं है।
 2. बर्षा नहीं हो रही है।
 3. मैं झूठ नहीं बोलूँगा।

(iii) प्रश्नवाचक वाक्य- ऐसे वाक्य जिसमें प्रश्न किया जाय या कुछ पूछा जाय, प्रश्नवाचक वाक्य कहलाता है।
जैसे- 
1.भारत की राजधानी का नाम बताओ?
 2. तुम्ह कहाँ रहते हो?
 3.आप कैसे हो?

(iv) विस्मयादिबोधक या विस्मयवाचक वाक्य- यदि वाक्य में आश्चर्य,शोक,हर्ष,घृणा, हर्ष, विषाद आदि का भाव व्यक्त हो, उसे विस्मयवाचक वाक्य कहते हैं। जैसे-
1. अहा! कितना सुंदर दृश्य है।
2. अरे! आप तो अच्छे खिलाड़ी हो।
3. छिः! कितनी गंदगी है।

(v) आज्ञावाचक वाक्य- जिन वाक्यों से आज्ञा या अनुमति  देने का बोध हो, उन्हें आज्ञावाचक वाक्य कहते हैं। जैसे- 
1.एक गिलास दूध पिलाओ।
 2.फूलों की एक माला बनाओ।
 3.चुपचाप बैठे रहो।

(vi) इच्छार्थक या इच्छावाचक वाक्य- यदि वाक्य में वक्ता की इच्छा, आशा या आशीर्वाद और शाप व्यक्त होता है, उसे इच्छावाचक वाक्य कहते हैं। 
जैसे- 
1.आपका कल्याण हो। 
2.आइए,थोड़ी देर साथ बैठें।
3.आप सदा सुखी रहें।
4.माँ का आशीष मुझे मिलता रहे।
(vii) संदेहवाचक वाक्य- ऐसे वाक्य जिसमें कार्य के होने में संदेह या संभावना व्यक्त हो, उसे सन्देहवाचक वाक्य कहते हैं। जैसे- 
1.शायद मैं कल पढ़ने नहीं जाऊँगा।
2.अब तक वह जा चुका होगा।
3.लगता है, मैंने इसे कहीं देखा है।

(viii) संकेतवाचक वाक्य- यदि वाक्य में एक क्रिया का होना दूसरे पर निर्भर करे तो उसे संकेतवाचक वाक्य कहते हैं। जैसे- 
1.यदि वर्षा अच्छी हो तो फसल भी अच्छी होगी। 
2.अगर तुम मन लगाकर पढ़ोगे तो अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हो जाओगे। ।

(2) रचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद हैं-


(i) सरल वाक्य- जिस वाक्य में केवल एक उद्देश्य और एक विधेय हो या अनेक उद्देश्य और एक विधेय हो, उसे सरल वाक्य कहते हैं। जैसे-
1.प्रवर फुटवाल खेल रहा है।
2.सीता-गीता गाना गाती हैं।
3.सदा सच बोलो।
4.गुरुजनों का आदर करो।
5.आज का युग विज्ञान का युग है।

(ii) मिश्र वाक्य- जिस वाक्य में एक सरल वाक्य के अतिरिक्त उसके आश्रित कोई दूसरा एक या अधिक उपवाक्य हो, उसे मिश्र वाक्य कहते हैं।  ये वाक्य आपस में 'कि' , जो , वह , वे , जितना , उतना, जैसा, वैसा, जब, तब, जहाँ , वहां , जिधर, उधर , अगर ,यदि , तो  , जिसने आदि से जुड़े होते हैं |   जैसे-
1.वह कौन है, जिसने गाँधी जी का नाम न सुना हो।
2.जो बालक सुशील होते हैं, वे बड़ों की आज्ञा मानते हैं।
3.यदि परिश्रम करोगे तो सफल हो जाओगे | 
4.मैं जानता हूँ कि  तुम उत्तीर्ण  हो जाओगे 

(iii) संयुक्त वाक्य- जिस वाक्य में दो या अधिक सरल या मिश्रवाक्य परस्पर किसी अव्यय से जुड़े हों, संयुक्त वाक्य कहलाता है। संयुक्त वाक्य में जो वाक्य जुड़े होते हैं, वे स्वतंत्र होते हैं। वे किसी पर आश्रित नहीं होते , इसीलिए सयुक्त वाक्य के मुख्य वाक्य को समानाधिकरण वाक्य भी कहते हैं।  ये वाक्य और, एवं, तथा, या, अथवा , इसलिए, अतः , फिर भी , किन्तु , परन्तु , लेकिन ,  आदि से जुड़े होते हैं | जैसे-
1.आगे बढ़ो और शत्रुओं का सामना करो।
2.हमें सत्य बोलना चाहिए,किंतु वह अप्रिय न हो।
 3.उसने भरसक प्रयत्न किया लेकिन सफल नहीं हो सका।